किसी से उम्मीद करना छोड़ें अगर खुश रहना चाहते हैं न तो किसी से भी उम्मीद करना छोड़ दें, क्योंकि आपको कोई और नहीं बल्कि आपकी ख़ुद की की हुई उम्मीद ही अंदर से तोड़ देगी। जो जैसा है वो वैसा ही रहेगा वो आपके लिए कभी नहीं बदलेगा। गलती आपकी होगी अगर आप उस इंसान पर भरोसा करेंगे या उससे उम्मीदें लगाएंगे। अगर आप एक सांप को अपने बच्चे की तरह पालते हैं और आपको ये लगता है कि वो आपके प्यार के वज़ह से आपको नहीं काट रहा है तो ये आपकी गलत फैमी होगी क्योंकि आपने उसका पेट भरा हुआ है तो उसे काटने की ज़रूरत ही नहीं। लेकिन एक दिन वो अपने खाने को उगल कर भी आपको काटेगा ही।
दोस्ती दोस्ती दो लोगों से बना एक प्यारा सा रिश्ता है। दोस्ती कैसे किसी अंजान से हो जाती है ? दोस्ती की जाती है या हो जाती है ? दरअसल दोस्ती हो जाती है लेकिन कुछ दोस्ती के रिश्ते बनते नहीं बनाए जाते हैं। आजकल इंटरनेट के जरिए भी दोस्ती की जाती है, सोशल मीडिया द्वारा भी जो दोस्ती की जाती है वो भी अभी पक्की होती जा रही है। दोस्ती दूर की हो या पास की हो इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता फ़र्क तो इस बात से पड़ता है कि सामने वाला शख्स इस दोस्ती को कितना निभाता है। दोस्ती में कोई शर्त नहीं होती है ये वो रिश्ता होता हैं जिसमें न कोई शर्त न कोई स्वार्थ होता है।
परिवार परिवार एक ऐसा शब्द एक ऐसा नाम होता है जो हर किसी की किस्मत में नहीं होता। किसी के पास हो कर भी नहीं होता, तो कोई परिवार से दूर भागना चाहता है। परिवार के महत्व को कोई समझना नहीं चाहता है और जो इसके महत्व को समझता है उसके पास होता नहीं है। परिवार नहीं तो कुछ भी नहीं इसके बिना हम अधूरे हैं। जब हम किसी मुश्किल में होते हैं तो परिवार ही हमारा सहारा होता है। उस मुश्किल से बाहर निकलने में हौसला बनता है अकेलेपन में हर एक फैसले लेने में मदद भी मिलती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें